BA Semester-2 Sociology - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2725
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बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

महत्वपूर्ण तथ्य

राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ किसी भी राष्ट्र के एकीकरण से है।

राष्ट्र शब्द लैटिन शब्द 'नेशियो' (Natio) पर आधारित नेशन (Nation) का हिन्दी रूपान्तरण है. जिसका तात्पर्य प्रजाति या जन्म है।

राष्ट्र का आशय उस जनसमुदाय से है, जिसमें व्यक्ति जन्म या प्रजातीय एकता के आधार पर संगठित होते हैं।

राष्ट्र ऐसे लोगों का समूह है जोकि एक सामान्य सरकार के अर्न्तगत एकता से रहते हैं। राष्ट्र के प्रति इसी भावनात्मक जुड़ाव को हम राष्ट्रीयता कहते हैं।

राष्ट्रीय एकीकरण की आवश्यकता या उद्देश्य इस प्रकार हैं-

(1) राष्ट्रीय एकता, अखण्डता और व्यवस्था को बनाये रखने के लिये।
(2) राष्ट्र के प्रति नागरिकों के कर्त्तव्य को प्रेरित करके।
(3) भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में परस्पर विरोध व तनाव को समाप्त करना।
(4) साम्प्रदायिक एकता का स्वस्थ वातावरण उत्पन्न करना।

भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को अनेक बाधाएँ प्रभावित कर रही हैं, ये बाधाएँ हैं- धार्मिक पूर्वाग्रह, जातिवाद, भाषावाद, उग्रपंथी विचार एवं हिंसात्मक गतिविधियाँ, आर्थिक विषमता, स्वार्थपूर्ण नेतृत्व और राजनीतिक अवसरवादिता, राष्ट्रीय जागृति, राष्ट्रीय चरित्र में गिरावट, विकास योजनाओं की असफलता, केन्द्र व राज्य के तनावपूर्ण सम्बन्ध, छात्र असन्तोष आदि।

राष्ट्रीय एकीकरण में बाधक तीन महत्वपूर्ण तत्व क्षेत्रवाद, साम्प्रदायिकता व नक्सलवाद है।

क्षेत्रवाद का शब्दिक अर्थ है क्षेत्र या प्रान्त के आधार पर अलगाव या पृथक्करण की भावना रखना।

बोगार्ड्स का मानना है कि - एक भौगोलिक क्षेत्र का विकास इस प्रकार से किया जाये कि वहाँ के लोगों में सामूहिक हितों, क्षेत्रीय लक्षणों एवं आदर्शों का विकास हो जाये तो उसे क्षेत्रवाद कहेंगे।

भारत में क्षेत्रवाद का उदय के निम्न कारण माने जा सकते हैं - ऐतिहासिक कारण, राजनीतिक कारण, आर्थिक कारण, भौगोलिक कारण, मनोवैज्ञानिक कारण, भाषावाद ।

क्षेत्रवाद की निम्नांकित विशेषताएँ हैं-

(1) क्षेत्रीयता स्थानीय देशभक्ति तथा क्षेत्रीय श्रेष्ठता की भावना को बल देती है।
(2) क्षेत्रवाद एक सीखा हुआ व्यवहार है।
(3) क्षेत्रवाद की मात्रा में अन्तर होता है।
(4) संकीर्ण क्षेत्रवाद स्वशासन एवं पृथक्करण को बल प्रदान करता है।
(5) क्षेत्रीयता से संकीर्ण मनोभाव की अभिव्यक्ति होती है।

क्षेत्रवाद की भावना समाप्त करने के लिये निम्नलिखित उपाय अपनाये जा सकते हैं राष्ट्रीय भावना का प्रचार-प्रसार, राष्ट्रीय इतिहास पर बल क्षेत्रवादी राजनीतिक दलों पर प्रतिबन्ध, राष्ट्रभाषा का प्रसार किये जाएं, यातायात के साधनों पर प्रसार किया जाए, शिक्षा संस्थानों में क्षेत्रीय आधार पर प्रवेश रोका जाए, केन्द्र एवं राज्यों के बीच अच्छे सम्बन्ध स्थापित किये जायें, आर्थिक असन्तुलन को समाप्त किया जाये, सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा दिया जाये, दबाव की राजनीति को कठोरता से निपटा जाए।

अपने सम्प्रदाय के प्रति अन्ध भक्ति रखना, सर्वोच्च मानना व इसी सर्वोच्चता को सिद्ध करने के लिये अन्य सम्प्रदाय पर हिंसा, विरोध, संघर्ष आदि के जरिए प्रभुत्व स्थापित करना ही साम्प्रदायिकता है।

साम्प्रदायिकता की समस्या को हल करने के उद्देश्य से केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय एकता परिषद का गठन किया गया।

16 अक्टूबर, 1969 को दिल्ली में हुई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में तय किया गया कि देश के सभी राजनीतिक दलों को जनसाधारण में साम्प्रदायिक सद्भाव जाग्रत करने के लिये विचार-विमर्श तथा शिक्षा के व्यापक कार्यक्रम अपनाने चाहिए।

नक्सलवाद को माओवाद या वामपंथी अतिवाद भी कहते हैं।

नक्सलवाद शब्द 'नक्सलबारी' से बना है, जोकि पं. बंगाल के दार्जिलिंग के निकट नक्सलबारी नामक गाँव के नाम पर आधारित है।

नक्सलवाद मूलतः एक किसान आन्दोलन था।

इस आन्दोलन की शुरूआत नक्सलबारी गाँव के जमींदार के लोगों के द्वारा बिगुल नामक किसान को पीटने से हुई।

यह एक कम्युनिस्ट क्रान्तिकारी आन्दोलन था जोकि आर्थिक विषमता की देन थी।

आज आन्ध्र प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और बिहार नक्सलवाद से सर्वाधिक प्रभावित राज्य हैं।

नक्सलवादी आन्दोलन की नींव 'माओत्से तुंग' की विचारधारा 'सत्ता बन्दूक की नली से निकलती है' पर आधारित है।

नक्सलवादी आन्दोलन की विचारधारा में चारू मजूमदार के आठ दस्तावेजों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 भारतीय समाज की संरचना एवं संयोजन : गाँव एवं कस्बे
  2. महत्वपूर्ण तथ्य
  3. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  4. उत्तरमाला
  5. अध्याय - 2 नगर और ग्रामीण-नगरीय सम्पर्क
  6. महत्वपूर्ण तथ्य
  7. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  8. उत्तरमाला
  9. अध्याय - 3 भारतीय समाज में एकता एवं विविधता
  10. महत्वपूर्ण तथ्य
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 4 भारतीय समाज का अध्ययन करने हेतु भारतीय विधा, ऐतिहासिक, संरचनात्मक एवं कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य
  14. महत्वपूर्ण तथ्य
  15. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  16. उत्तरमाला
  17. अध्याय - 5 सांस्कृतिक एवं संजातीय विविधताएँ: भाषा एवं जाति
  18. महत्वपूर्ण तथ्य
  19. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  20. उत्तरमाला
  21. अध्याय - 6 क्षेत्रीय, धार्मिक विश्वास एवं व्यवहार
  22. महत्वपूर्ण तथ्य
  23. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 7 भारत में जनजातीय समुदाय
  26. महत्वपूर्ण तथ्य
  27. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  28. उत्तरमाला
  29. अध्याय - 8 जाति
  30. महत्वपूर्ण तथ्य
  31. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  32. उत्तरमाला
  33. अध्याय - 9 विवाह
  34. महत्वपूर्ण तथ्य
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 10 धर्म
  38. महत्वपूर्ण तथ्य
  39. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  40. उत्तरमाला
  41. अध्याय - 11 वर्ग
  42. महत्वपूर्ण तथ्य
  43. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  44. उत्तरमाला
  45. अध्याय - 12 संयुक्त परिवार
  46. महत्वपूर्ण तथ्य
  47. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 13 भारत में सामाजिक वर्ग
  50. महत्वपूर्ण तथ्य
  51. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  52. उत्तरमाला
  53. अध्याय- 14 जनसंख्या
  54. महत्वपूर्ण तथ्य
  55. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  56. उत्तरमाला
  57. अध्याय - 15 भारतीय समाज में परिवर्तन एवं रूपान्तरण
  58. महत्वपूर्ण तथ्य
  59. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  60. उत्तरमाला
  61. अध्याय - 16 राष्ट्रीय एकीकरण को प्रभावित करने वाले कारक : जातिवाद, साम्प्रदायवाद व नक्सलवाद की राजनीति
  62. महत्वपूर्ण तथ्य
  63. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  64. उत्तरमाला

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